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jyoti pal

Abstract

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jyoti pal

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नवीन कली सी

नवीन कली सी

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शाखाओं पर

नवीन कली सी हो तुम

खिलखिलाती हो फूलों की तरह

तुम चांद नहीं

पर चांद से भी खूबसूरत हों तुम

नवीन कली सी हो तुम!


महकते हैं रास्ते भी 

आगमन में फूल बिछ जाते हैं

चलती हैं पवन सुगन्धित

पल्लव भी गीत गाते हैं

जहाँ से गुजरती हो तुम,

नवीन कली सी हो तुम!


प्रकृति की गोद में

बसा जो मंदिर

उसी मंदिर की मूरत सी तुम,

सुबह की पहली किरण

सबकी लाडली हो तुम

नवीन कली सी हो तुम!


भोली सी सूरत

ममता की मूरत

बहुत उदार हो तुम

लगता है जमीन पर

स्वर्ग से उतरी परी हो तुम

नवीन कली सी हो तुम!



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