चले भी आऔ
चले भी आऔ
ये रात की तन्हाईयाँ क्या कहतीं है
आँसुओं से भीगी पलकें क्या कहती है
चले भी आऔ ,जहां हो !
ये दुरियाँ सतातीं है!
रात दिन बस ख़ामोशियाँ ही खामोशियाँ है!
तुम्हारे प्यार की बातें सतातीं है!
पत्थर ही पत्थर है मेरे चारों और,
संगमरमर के महलों की जुदाइयाँ याद आती है!
चले भीआऔ....
रात दिन जपते है नाम तुम्हारा,
तेरे नाम के सदके हमको खुदाईया याद आती है!
टूट कर बिखर गई थी जब ज़िन्दगी,
तुम्हारी पनाहो मे सिमटी हुई अँगड़ाइयाँ याद आती हैं!
चले भी आओ.....
ढूँढती है मेरी आँखें जब तस्बुर अपना,
तेरी बाँहों में बस सहमी सहमी शरमाईं घड़ी आती है!
खेल खेल में जीत कर हार जाने की अदा याद आती हैं!
चले भी आऔ......
रात आती है चली जाती है,
हर साँस को तुम्हारा पैग़ाम दे जाती हैं !
तुम्हारा प्यार ही है अब ज़िन्दगी मेरी,
और तुम्हारा इन्तज़ार सजदा है!
सच्चे प्यार पर एक जन्म तो क्या ज़िन्दगी बार बार क़ुर्बा हो जाती हैं!
चले भी आऔ....
सभी सेना में गए जवानों के आने के इन्तज़ार में शूरवीर पत्नियों को समर्पित

