नई चाहत
नई चाहत
इश्क सिर्फ दिलों को दस्तक देता है
देखो क्या होता है कमाल
नई चाहत है दिल बेकाबू है
अब देखते हैं दो दिलों का हाल
यूँ दरमियाँ है जो दूरियां
बर्दाश्त करने की चाह नहीं है
पुराना होता तो इंतजार करते
पर अभी तो यह चाह नई है
तुम आ जाना मिलने चुपके से
वहीं जहां हमारे इश्क की वादी है
तेरी राह में पलके बिछी होंगी
तुझे पता नहीं तू मेरी शहजादी है
ना आई तो याद रखना फिर
मैं भी तुझे यूँ ही तड़पाऊंगा
तू बुलाती रहेगी लाख मगर
मैं कभी मिलने नहीं आऊंगा
बातें सुनकर अपने आशिक का
वो महबूबा भी कुछ बोल पड़ी
चलो माना कि नई चाहत है
तो फिर नया अपना अंदाज रखो
गर्माहट देने तुम्हें हम खुद आएंगे
बस तुम नरम अपना मिजाज रखो।