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Richa Baijal

Romance

4  

Richa Baijal

Romance

बहुत मुमकिन है

बहुत मुमकिन है

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तुझसे जुदा होकर भी तेरे करीब हैं 

इश्क के भी अपने नसीब हैं 

तकलीफ को मोहब्बत का नाम देते हैं 

माशूक को 'मेहरबान ' कहते हैं 


बहुत मुमकिन है तेरा मसरूफ हो जाना 

इश्क में आंसुओं का पलकों से बेफिक्र हो निकल जाना 

बहुत मुमकिन है तेरे मेरे करीब आ जाना 

और मेरा हंसकर फिर तुझसे लिपट जाना 


बहुत मुमकिन हैं मेरा रूठना और तेरा मुझको मनाना 

तेरी बातों को सुनना और तेरे करीब ही मेरा सो जाना 

बहुत मुमकिन है तेरा दौड़ कर मेरे पास आ जानना 

मेरी फ़िक्र में तेरा लड़ना - झगड़ना और बिखर जाना 


तुझसे जुदा होकर भी तेरे करीब हैं 

इश्क के भी अपने नसीब हैं 

तकलीफ को मोहब्बत का नाम देते हैं 

माशूक को 'मेहरबान ' कहते हैं 


बहुत मुमकिन है इस इश्क का यूँ ही बढ़ते जाना 

तेरी बाँहों में मेरा सुकून है जाना 

तुझसे जुदा होकर भी तेरे करीब हैं 

इश्क के भी अपने नसीब हैं।


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