सौदाई
सौदाई
मुझे उससे मुहब्बत है तो है
दिल ने की बग़ावत है तो है
दिल हुआ जाता दीवाना उसका
आंखो ने छेड़ी शरारत है तो है
जुल्फों का चिलमन यूँ गिरा बैठे
खफ़ा हूँ उससे शिक़ायत है तो है
इश्क़ करके हम तो हारे पिया
कर ली हमने हिमाकत है तो है
ताल्लुक़ बेहद क़रीबी है उनसे
दूरियों को नहीं इजाज़त है तो है
नज़दीकियाँ इस क़दर बढ़ने लगी
क़ैद में हूँ नहीं हुई ज़मानत है तो है
जरूरी सा है तू डेज़ी के लिए
मेरी सांसों को तेरी जरूरत है तो है.....
फुहारें प्यार की अग्न लगा गई
बूंदों ने की है हरक़त है तो है ......
मुझे उससे मुहब्बत है तो है
दिल ने की बग़ावत है तो है