घटा कुछ जीवन में
घटा कुछ जीवन में
बहुत कुछ घटा इस जीवन के सफर में,
बिछड़ गई वो राहें, जो बांधे रखती थीं हमें हर सफर में।
हर लम्हा बिताया करते थे एक-दूसरे के साथ में,
हर घड़ी गुज़रती थी, एक-दूजे की फिकर में।
तेरे संग बिताए पल, वो हंसी के ठिकाने,
अब बस यादें ही रह गईं उसमें, वो भी किस्से हो गए अब पुराने।
तेरे बिना दिल का हर कोना वीरान हो चुका है,
अब तो बस तेरी यादों से ही सजते हैं मेरे मन के अफसाने।
तू ही है मेरे हर एक ख्वाब में, मेरे हर एक एहसास में,
तेरे बिना जीवन की राहें, अब अनजान हो जाती हैं।
तेरी वो हंसी, तेरी वो बातें, वो मुलाकातों को याद कर,
मेरे दिल में गूंजती हुई सुबह, न जाने कब शाम हो जाती है।
क्या खोया, क्या पाया, ये सवाल अब गहरा हो गया है,
तेरे बिना हर ख्वाब, एक टूटा हुआ चेहरा हो गया है।
बस तेरी यादों में खोकर ही जीते हैं ये पल,
जैसे तू ही हो मेरी दुनिया, मेरे खून का हर एक कतरा तुम सा हो गया है।
क्या खोया, क्या पाया, ये सोचता है ये दिल,
तेरे बिना अधूरी है मेरी हर एक महफिल।
तू ही अब मेरी जिंदगी का हिस्सा है, तू ही मेरा किस्सा है,
एक तेरे सिवा प्रेम को अब कोई भी नहीं चाहिए मंजिल।

