गहरा रहस्य
गहरा रहस्य
उसकी हंसी
कहीं खो गई
दुनिया की भीड़ में
हंसता हुआ
चेहरा डूबा
उदासी के
समंदर में
रहस्य कोई
जान ना पाया
ऐसा क्यों हुआ
एक अनहोनी
जो हुई
रात के अंधेरे में
सूरज भी
धो न पाया
अपने प्रकाश में
रहस्य गहरा
लेकर ही
चली गई
जाने कहाँ
वो ढूंढता
रहा पिता
चिराग लेकर
इधर-उधर
माँ की सिसकियाँ
थम नहीं रही
अब तो
पर वह न लौटी
जहाँ गई थी
वहाँ से
कोई लौटता भी
कहां है
हाँ जाकर वहाँ से