घर
घर
बिना किसी मतलब के हम सब
निस्वार्थ घर में रहकर इक दूजे को देख कर जीते
साँसें एक दूसरे में रहती है अटकी
जब तक ना हो जाए एक दूजे के संगी
घर इक मंदिर है सपनों का
जहां पर सारे सपने मुकम्मल हो जाते.....!!
साथ साथ सब रहकर घर में
मिला कर कदम से कदम है चलते
आये विपत्ति किसी एक पर
सब एकजुट हो उसका है हाथ थामते
दर्द एक का बन जाता सभी का
तब मरहम बन उस दर्द से सब राहत दिलाते
घर एक मंदिर है सपनों का
जहां पर सारे सपने मुकम्मल हो जाते.....!!
घर को मंदिर कहना गलत ना होगा
क्योंकि सारे सपने हम घर में ही बुनते
बैठकर हम सब अपने प्यारे घर में
सलाह मशवरा मिलकर करते
और सब मिलकर एक दूसरे का प्रोत्साहन बढ़ाते
जब तक ना मिल जाए सफलता
उसका हाथ हम सब थामें रखते
घर इक मंदिर है सपनों का
जहां पर सारे सपने मुकम्मल होते.....!!
घर इक ऐसी दुनिया है
जिसमें हर रिश्ता हम जीते
घर ही वही स्वर्ग है जहां पर
सारी थकान, उलझनें और परेशानी आकर सब मिट जाते
बच्चे सब मिल बैठकर घर में
हंसी ठिठोली करके घर का आँगन ख़ुशियों से हैं भरते
घर एक मंदिर है सपनों का
जहां पर सारे सपने मुकम्मल होते....!!
