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शशि कांत श्रीवास्तव

Tragedy

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शशि कांत श्रीवास्तव

Tragedy

घर

घर

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तिनका तिनका जोड़ के 

बनाया था इक सुखधाम 

इस जन्नत की वादी में 

और दिया उसे घर नाम।

 

पर वो रात कहर बन आयी 

इस हसीन वादी में 

लोग हुए डर से 

अपने ही घर से बेघर।


निकल पड़े इक

अनजाने बेगाने सफर पर 

जीने को विस्थापित सा जीवन 

छोड़ अपने सुखधाम को।


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