ग़ज़ल
ग़ज़ल
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दिल आशना हुआ है तेरे प्यार का सनम।
है इंतजार तेरे भी इक़रार का सनम।
ख़ामोश लब, निगाह तेरी कर रही बयां।
मौसम नहीं है ये अभी इंकार का सनम।
पायल पहन के छम से कदम तू जो रख रही।
दीवाना दिल हुआ इसी झंकार का सनम।
मुस्कान तेरे होंठ की लायी बहार है।
हर फूल खिल उठा मेरे गुलज़ार का सनम।
आग़ोश में तुझे लिया तो ये ख़याल उठा।
आया है वक्त प्यार के विस्तार का सनम।
हर अंग वज़ादार बना कर तेरा ख़ुदा
दीवाना हो गया तेरे दीदार का सनम।
तू जब से जिंदगी में मेरे आई है "कमल"।
रहता नहीं ख़याल तो संसार का सनम।