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Prashi Joshi

Tragedy

4.0  

Prashi Joshi

Tragedy

एसिड से भीगे चेहरे

एसिड से भीगे चेहरे

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खो गई कहीं मैं , बदल गई जो सूरत है , 

आज इस चेहरे को एक चेहरे की ज़रूरत है । 

चेहरे के साथ साथ नाम गुमनाम होने लगा है , 

एसिड का बिकना भी अब सरेआम होने लगा है , 

अजीब है , 

देश की बेटी मानते हो और ज़ुल्म भी करते हो , 

चेहरों पे वार अब सुबहों - शाम होने लगा है । 

सूरत नहीं है पर आज भी मन खूबसूरत है , 

सूरत नहीं है तो क्या हुआ पर आज भी मन खूबसूरत है ,

आज इस चेहरे को एक चेहरे की ज़रूरत है , 

पर बस , अब और नहीं , 

कहते है हौसलें इंसानों की तरह सूरत नहीं देखते , 

आज भी वही हूं , जो कल थी , 

बस थोड़ा सा चेहरा बदल गया है , पर ज़िंदा हूं , 

क्योंकि हौसलों से इश्क़ और जीने की ख्वाहिश मुकम्मल थी । 

फिर से उडूंगी मैं एक नई सूरत के साथ , 

जो पहले से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत है , 

हां , आज इस चेहरे को एक चेहरे की ज़रूरत है । 


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