एसिड से भीगे चेहरे
एसिड से भीगे चेहरे
खो गई कहीं मैं , बदल गई जो सूरत है ,
आज इस चेहरे को एक चेहरे की ज़रूरत है ।
चेहरे के साथ साथ नाम गुमनाम होने लगा है ,
एसिड का बिकना भी अब सरेआम होने लगा है ,
अजीब है ,
देश की बेटी मानते हो और ज़ुल्म भी करते हो ,
चेहरों पे वार अब सुबहों - शाम होने लगा है ।
सूरत नहीं है पर आज भी मन खूबसूरत है ,
सूरत नहीं है तो क्या हुआ पर आज भी मन खूबसूरत है ,
आज इस चेहरे को एक चेहरे की ज़रूरत है ,
पर बस , अब और नहीं ,
कहते है हौसलें इंसानों की तरह सूरत नहीं देखते ,
आज भी वही हूं , जो कल थी ,
बस थोड़ा सा चेहरा बदल गया है , पर ज़िंदा हूं ,
क्योंकि हौसलों से इश्क़ और जीने की ख्वाहिश मुकम्मल थी ।
फिर से उडूंगी मैं एक नई सूरत के साथ ,
जो पहले से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत है ,
हां , आज इस चेहरे को एक चेहरे की ज़रूरत है ।