लेकिन जब भी मैं घर से बाहर आता हूं, क्यूँ नारी को ही मैं हारा हुआ पाता हू, आज महान किस्सों में नहीं लेकिन जब भी मैं घर से बाहर आता हूं, क्यूँ नारी को ही मैं हारा हुआ पाता हू, आज मह...
दिल बैठा जा रहा उनका भरी महफिल जहर पीकर भी जब हमे मुस्कुराता देखा। दिल बैठा जा रहा उनका भरी महफिल जहर पीकर भी जब हमे मुस्कुराता देखा।
क्या दोष है मेरा ??? जो असमय किसी दहलीज पर छोड़ दिया क्या दोष है मेरा ??? जो असमय किसी दहलीज पर छोड़ दिया
फिर से उडूंगी मैं एक नई सूरत के साथ , जो पहले से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत है! फिर से उडूंगी मैं एक नई सूरत के साथ , जो पहले से भी कहीं ज्यादा खूबसूरत है!
चाहे नारी स्वर्ण घरौंदे में रहे या फिर गरीबी के रेखा के पार रहे सहनी पड़ती है मर्द की चाहे नारी स्वर्ण घरौंदे में रहे या फिर गरीबी के रेखा के पार रहे सहनी पड़ती ...