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Vishabh Gola

Romance Fantasy

4  

Vishabh Gola

Romance Fantasy

"एक तरफा"

"एक तरफा"

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पैगाम जो भेजा आंखों ने

जवाब कभी आया नहीं

मदहोशी सी थी दुनिया में

होश कभी आया नहीं


रवैया तो हमारे बदले उनके कहाँ

बात जो करी कांपते होठों की आंखों ने,

वो समझे कहाँ। 


महकाए हमें वो फूल अनजान सा

तोड़ के ना करना हासिल, दीदार के फरमान सा,

नींद रात से खफा हो गई,


सपना जो बन गया चमकता सितारा सा

कौन सोए फिर देखते हुए वो नज़ारा सा

दूर ही सही, मगर है तो वो हमारा प्यारा सा

पाने की फिक्र नहीं, उम्मीद तभी तो बरकरार है


प्यारे से अरमान है, फिर चाहे तरसता हुआ अरसा ही सही

मोहब्बत तो मोहब्बत है, फिर चाहे एक तरफा ही सही। 


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