STORYMIRROR

Vishabh Gola

Tragedy Fantasy Inspirational

4  

Vishabh Gola

Tragedy Fantasy Inspirational

"मै,तुम- कुछ नही"

"मै,तुम- कुछ नही"

1 min
350

खाली है मन मेरा

किसकी आवाज गूंजती है

आवाजें हैं वही तेरी 

मेरे कानों को ढूंढती हैं


निकल ज़रा ख्यालों से

चाहता हूं मैं चलना अकेले

चाहता हूं मैं जीना अकेले

तेरे ख्याल आते हैं

अकेले चलते रहो पर 

हाथ पकड़ जाते हैं


गानों में मिल जाती है

फूलों में खिल जाती है

रातों में भी अक्सर तेरी

तस्वीरें झलक जाती है


देखते थे हम उसे जिसे

पहले कभी देखा ना था

महसूस करते नजारों को जिसे

पहले कभी किया ना था


खास नहीं हमारे लिए सब अब

क्या फर्क हमें पड़ता है

ख्यालों में ढूंढो ज़रा

तुम हो अब कहीं नहीं


करनी पड़े तो नहीं शुरुआत सही

हो जाए हम अनजान तो ये ही सही

जैसे पहले हम कुछ थे ही नहीं।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy