"मै,तुम- कुछ नही"
"मै,तुम- कुछ नही"
खाली है मन मेरा
किसकी आवाज गूंजती है
आवाजें हैं वही तेरी
मेरे कानों को ढूंढती हैं
निकल ज़रा ख्यालों से
चाहता हूं मैं चलना अकेले
चाहता हूं मैं जीना अकेले
तेरे ख्याल आते हैं
अकेले चलते रहो पर
हाथ पकड़ जाते हैं
गानों में मिल जाती है
फूलों में खिल जाती है
रातों में भी अक्सर तेरी
तस्वीरें झलक जाती है
देखते थे हम उसे जिसे
पहले कभी देखा ना था
महसूस करते नजारों को जिसे
पहले कभी किया ना था
खास नहीं हमारे लिए सब अब
क्या फर्क हमें पड़ता है
ख्यालों में ढूंढो ज़रा
तुम हो अब कहीं नहीं
करनी पड़े तो नहीं शुरुआत सही
हो जाए हम अनजान तो ये ही सही
जैसे पहले हम कुछ थे ही नहीं।