"शहीद-ए-जवान"
"शहीद-ए-जवान"
ए कलम मेरी आज शमशीर बन जा
बुरा जो बोले देश को मेरे उन सभी से लड़ जा
रक्षा की तेरी हमने दी जुबान है
दुनिया में आबाद रहे उस तिरंगे की शान है
महान है सब की याद में तेरे वो बेटे वीर-जवान है
सारे जहान में कायम मेरी मां तेरा नाम हिंदुस्तान
मिट्टी जो तेरा आंचल है ,माथे पर मैं मलता था
छोटा था मैं, तेरे आंचल में जो खेलता था
वीरों की कहानियां है, शहीदों की बलिदानीया है
जो तेरे लाल के लाल रंग की तेरे आंचल पर निशानियां हैं
ए कलम मेरी आज शमशीर बन जा
बुरा जो बोले देश को मेरे उन सभी से लड़ जा
बेटो ने तो किए थे दुश्मनों पर वार
तेरी बेटियां भी कम कहां थी,उठाई थी उन्होंने भी तलवार
ए वतन मेरे मुझ में तेरा ही अंश है
चले जाएं हम अगर तो क्या तेरे लिए तैयार तेरा और भी वंश है
जाऊं भी अगर आसमानों के परे
देखू बस इस महान वतन को मेरे
ए कलम मेरी आज शमशीर बन जा
बुरा जो बोले देश को मेरे उन सभी से लड़ जा
खूबसूरत है जो पूरे जहान में
सावन में लहराते इसमें सोने से खेत-खलिहान है
संभाल कर रखेंगे सदा, तेरी हमें सौगंध है
जब तक माटी में यह भीनी सी सुगंध है
ओ देश मेरे तू ही सबसे महान है
तेरी रक्षा के लिए, इस लाल का भी लहू जवान है
मलाल नहीं गर्व रहेगा, तमन्ना मेरी इस बात की
तुझसे ही उठे हैं
तुझ पर ही मिटे हैं
ए कलम मेरी आज शमशीर बन जा
बुरा जो बोले देश को मेरे उन सभी से लड़ जा.