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V. Aaradhyaa

Tragedy

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V. Aaradhyaa

Tragedy

एक तीक्ष्ण प्रश्न उठा है आज

एक तीक्ष्ण प्रश्न उठा है आज

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इस क्षणभंगूर जीवन में मेरे मन में,

यह एक सवाल उपजता कई बार !


स्त्रियों के काम की क़ीमत और,

इज़्ज़त क्यों नहीं देता है परिवार !


स्त्रियों को बनानी ही होगी अब,

अपनी एक अलग विशिष्ट पहचान !


उसके द्वारा किये कामों की क़ीमत,

क्या लगा पायेगा ये संसार अनुमान !


स्त्री क्योंक दोयम दर्ज़े की कहलाती,

क्यों है वह बेबस और इतनी लाचार !


यही एक तीक्ष्ण और सटीक प्रश्न आज,

सर उठाए खड़ा है मन के भरे दरबार !


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