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सतीश कुमार

Drama Inspirational

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सतीश कुमार

Drama Inspirational

एक राष्ट्र :प्रबल राष्ट्र

एक राष्ट्र :प्रबल राष्ट्र

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जब एक दीये की बाती से,

अंधकार मिट जाता है,

इसी बात को नर समझे,

तो राष्ट्र उदित हो जाता है।


तू-तू मैं-मैं इन शब्दों में,

मानव क्यूँ फंस जाता है,

ऐसा भी क्या लालच है,

हृदय कठोर बन जाता है।


प्रेम भाव अपनाने से,

हर धर्म का संगम होता है,

राष्ट्र प्रबल हो जाता है व,

दुश्मन देख के रोता है।।


फूल-फूल एक डोर में पिर,

हार का रूप लेता है,

बूंद-बूंद एक घट में गिर,

मानव को जीवन देता है।


हर धर्म-भाषा अलग है,

पर वाणी में मिठास घुले,

हर धर्म इमारत अलग है,

वहाँ इंसान के पाप धुले।


राष्ट्र एक हो जाने से,

श्रेष्ठता का जन्म होता है,

राष्ट्र प्रबल हो जाता है व,

दुश्मन देख के रोता है।।


बैर भाव का त्याग करें,

प्रीत का बंधन अपनाओ,

राष्ट्र नींव मजबूत बना,

धर्म दीवारें मत बनवाओ।


जब सोने की चिड़िया के,

पर कतरे आजादी पहले,

स्वर्ण रहे ये भारत बस,

सोच नई आबादी बदले।


एक सूत्र हर धर्म बंधे तो,

देश हृदय नम होता है,

राष्ट्र प्रबल हो जाता है व,

दुश्मन देख के रोता है।।


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