STORYMIRROR

एक फिक्र

एक फिक्र

1 min
2.3K


साथ खेले साथ बड़े हुए

वो दोस्त थे, जो अब अलग हुए

ग़लती है किसकी कौन ग़लत है

दोनों के दिल पत्थर हुए


दोनों एक-दूसरे की शक्ल से नफरत करते हुए

जीवन की जंग दोनों लड़ते हुए

दिल ही दिल में दोनों डरते हुए

एक-दूसरे की फिक्र करते हुए


आँखों को नदी करते हुए

लबों को मिर्ची करते हुए

एक-दूसरे की तोहीन करते हुए

अन्दर ही अन्दर खुद को तोड़ते हुए


ना चाहाते हुए भी एक-दूसरे को चाहते हुए

नाराज होते हुए भी नजर मिलाते हुए

वो दोस्त है जो खाली हाथ जाते हुए

एक-दूसरे को अनदेखा करते हुए


वो दोस्त है, जो थे होते हुए

मानव को जमीन दिखाते हुए

मन में मैल एक-दूसरे के लिए रखते हुए

वो दोस्त थे, बचपन की बातें भूलते हुए।।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Tragedy