एक फ़ौजी …. लगे प्यारा
एक फ़ौजी …. लगे प्यारा
क्यूँ फ़ौजी ….. लगे प्यारा …
क्यूँ ….. बिना जान पहचान के …
बिन देखे सूरत ही …..
नही पता …. है कहाँ से आया …
किस माँ के आँचल का ..
उस के सुंदर नयनों का तारा ..
उस विधाता की बनायी ….
लाखों रचनाओं की……,
एक अदभुत छवि ….,
और है सब से न्यारा ..
शायद ….………@यशवी..
बनाया होगा उसने …….
एक अलग मिट्टी से …. उनको
बैठ कर बड़े प्यार और इत्मिनान से ………
हर किसी के …… चेहरे पे मुस्कान लाएगा ….
हर किसी के आँसू …. ……..
पोंछ जाएगा ..
हँसेंगे जब लोग तो …. उसके होंठ मुसकुराएँगे
दिल में दर्द हुआ ….. कभी तो
मिट्टी ऐसी लगायी उसने ….
चेहरे के भावो को भी ना दर्शाएगा …
इसीलिए वो लगे प्यारा …..
सब के दिलो के हाल पढ़े …..
सब के लिए मुस्कुराए ….
एक नमन उस माँ के नाम …
जिसकी झोली ….. हुई पावन…
उस की अपार कृपा से …..
माता जो बनी ….. ……………….उन वीरों की ….
*प्रभु की *….
…प्रिय रचना की हक़दार हुई
अलग से बने हैं ये …….
अनोखी कृति ……,उस कलाकार की ……
इसलिए हैं भाते सब को …
लेते हैं …….. बेशुमार प्यार ये