एक खौफ के साये के खंजर से
एक खौफ के साये के खंजर से
मेरे जख्म तो
अब नासूर बन
गये हैं
चुभते थे पहले मुझको
अब तो यह सबकी
आंखों में
एक खौफ के साये के खंजर से
गड़ गये हैं
न जाने क्या गुनाह
किये थे हमने कि
किसी को एक नजर
भाते ही नहीं
हम तो हर पल करें
गुरु की अरदास
फिर भी
इस दुनिया के
किसी भी बंदे को
समझ आते नहीं।