एक जंग हूँ मैं
एक जंग हूँ मैं
ज़िन्दगी, तेरी तवयाफदिली से तंग हूँ मैं,
एक ज़िंदा मिसाल हूँ, एक जंग हूँ मैं.
हस्ती यूँ ही नहीं है ये, क़द्दावर, मेरी,
जवाँ चमन का बहार हूँ, उमंग हूँ मैं।
इंसान कहाँ टिकता है शख़्सियत के सामने,
उसकी चाल बाजियों से हैरान हूँ, दंग हूँ मैं।
तुम भी मुझे भूल पाओगे कब भला?
रोज की अख़बार का दैनिक प्रसंग हूँ मैं।
रोज नया होने का हुनर जनता हूँ, 'केसर',
पल-पल दरिया का उठता हुआ तरंग हूँ मैं।