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Anonymous Writer

Abstract

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Anonymous Writer

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बस वो चला गया

बस वो चला गया

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देखा था जो एक सपना मैने

वो आंखों में ही बिखर गया


वो यूं आया और चला गया

जैसे दिल ना कोई दरवाजा हो गया


सुनना चाह रही थी उसकी बातें सारी

अचानक बस एक, अलविदा सुनाई पड़ गया


हवाओं सा लगता था प्यार मुझे

दिखे ना सही, मगर मौजूद रहेगा


कैसे अनुमान लेगा लेती मैं,

वो तो झोंके सा बनकर रह गया


लिख लिख कर हल्का करती हूं दिल को

वो आंखों को मगर, मनचाहा पानी दे गया


बेवजह थी मेरी मोहब्बत तो

वो हिसाब वफा का, लगाता रह गया।


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