एक छोटी सी ग़लती के लिए
एक छोटी सी ग़लती के लिए
वर्षो का साथी अपना,
एकपल में पराया हो गया...
दिल में जो भी प्यार था,
ना जाने अब कहाँ खो गया...
आँखों की पलकें भी,
झपकती थी उसके लिए...
औऱ उसने क्या किया,
साथ ही छोड़ दिया...
एक छोटी सी ग़लती के लिए....!
मुझे लगा कि शायद वो
समझ जायेगी,
दो-दिन के गुस्से के बाद
वो मुझसे मिलने आयेगी,
मेरी ग़लती को भुलाकर,
मुझे गले लगाएगी...
ऐसा कुछ भी नहीं हुआ,
आँखों के सामने अब तो हैं
धुआँ-धुआँ...
मैं तो आज भी तन्हाइयों में,
रोता हूँ उस सनम के लिए....
औऱ उसने क्या किया,
साथ ही छोड़ दिया,
एक छोटी सी गलती के लिए..!
