एक बुरा स्वप्न
एक बुरा स्वप्न


हे ईश्वर ये क्या हो गया
कैसा सितम हुआ ये मेरे साथ
सारे सपने बिखर गए टूट गए
होश आया तो कोई पास न था
मै ज़िंदा लाश सी पड़ी थी
आज अस्पताल से तीन हफ्तों में घर आईं हूं
मेरी दुनियां उजड़ गई
कितने ख्वाब देखे थे मैने मंज़िलो के
बेहतर से बेहतर जीवन देना चाहती थी मां-बाप को, पर
सारे अरमान कुचल दिए गए
मुझे मसल दिया गया
वहशी दरिंदों तुमने एकबार भी न सोच मेरी तरह तुम्हारी भी तो कोई बहन, मां या बेटी होगी
क्या एक बार भी उसका ख्याल नहीं आया तुम्हें
मुझे अर्श से फर्श पर ला पटका ये किस गुनाह की सज़ा दी है मुझे
न जी पा रही हूं न मर पा रही हूं
देखो मां मेरे सामने बैठी कैसी सिसक रही हैं
कहती हैं बेटी भूल जा इसे इक बुरा स्वप्न समझ
पर कैसे भूल जाऊं अपनी आत्मा पर और शरीर पर हुए
इन ज़ख्मों को
क्या ये भूलने देगे मुझे और
तुम सब भी मान सकोगे इस बेरहमी को इक बुरा स्वप्न