एक बार कहो न
एक बार कहो न
आपका देखना,
देख के शर्माना
शर्माते हुई पलकों,
को झुकाना
पलके झुका के,
बालों को संवारना,
समझ के भी
नासमझ बन जाना
मेरा चैन चुरा के
ख़ुद को
बेचैन कर जाना,
चुपके से देख के
मुझे सताना
कितना अच्छा लगता है !
सुनो !
एक बार कहो न !
कितना अच्छा लगता है
देख मुझे
चुपके से छुप जाना।
बात बहुत हो
लबों से कुछ
ना कह पाना
दिल की बात
दिल में समेट
के रखना,
तुम्हारी अदाओं से
दिल का बहक जाना
बातों को
आंखों से बयां करना
सीखा है किस तरह
ये मुझे रिझाना,
अब ऐसे भी
जानम क्या सतना
कितना अच्छा लगता है
सुनो !
एक बार कहो न !
कितना अच्छा लगता है।
चलते हुए राहों पर
छुपके से
मुड़ के देखना
ना दिखे तो
बार बार पलटना
हौले से
नज़रों का उठना,
सामने हो तो
यूं शर्माना
शर्मा के अदाओं
से लिपटना
कितना अच्छा लगता है
सुनो !
एक बार कहो न
कितना अच्छा लगता है।।