एक और निर्भया चली गई
एक और निर्भया चली गई
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एक बार मोमबत्ती की जगह आरोपी को ही
जलाकर देख लो शायद बेटियाँ ही सुरक्षित हो जाये
एक और “निर्भया" चली गई
बनकर अखबारों की सुर्खियाँ,
दे गई मुद्दा,न्यूज़ चैनलों को बहस का,
चर्चाएँ होंगी,एक-दूसरे पर होंगे आरोप-प्रत्यारोप,
हर किसी की होगी,अपने को श्रेष्ठ दिखाने की होड़।
परंतु होगा क्या उससे ?
क्या वह बेटी वापस आ पाएगी ?
क्या आगे और कोई निर्भया बनने से बच पाएँगी ?
कितने संवेदनहीन हो गए हैं हम,
नारेबाजी, चर्चाएँ, धरने और कैंडल मार्च,
फिर कुछ दिनों बाद सब मौन
इंतजार में एक और निर्भया के।