एहसास
एहसास
वक़्त बढ़ता गया अपनी चाल से, मैं ठहर गई वहीं।
कल्पना में बुनी ये कहानी तो नहीं, मैं डूब सी गई वहीं।
निखर जाती फूल कलियाँ, जब पड़ती रवि की किरणें।
महक उठती धरती, जब बारिश की बूंदें आती है मिलने।
रग रग में बसा लिया तुमको, भले मुझसे दूर हो कहीं।
एहसास ज़िन्दा है मेरे भीतर, लगता है कि तुम हो यहीं।
सोने से पहले और जागते ही, देखती हूँ हर रोज सपने।
कहता है दिल मेरा, एक दिन ज़रूर आओगे मुझे लेने।
कभी बरस पड़ती हैं आँखें मेरी, फिर भी बिखरती नहीं।
मुस्कुरा लेती हूँ उम्मीद की डोर पकड़े, कुछ पल ही सही।