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Vaidehi Singh

Romance Fantasy

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Vaidehi Singh

Romance Fantasy

दूरी

दूरी

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चेहरों को ढ़कने की नौबत आ गई, कोई पहचान में नहीं आता, 

ये कैसी दूरी तेरे-मेरे बीच में, बिन मिले अब रहा नहीं जाता। 

धड़कनों को सुनो, वो भी तुम्हें पुकार रहीं हैं, 

तुम बिन अब ज़िन्दगी भी लग बेकार रही है। 

तुम बिन मैं एकदम अधूरी

ना जाने कबतक होगी ये दूरी? 


पर मिलना अभी सुरक्षित नहीं, थोड़ा सोचें इन्सानियत की, 

दूर रहने से बिछुड़ जाएँ, ऐसी कमज़ोर नहीं भावनाएँ नियत की, 

तुम रहो सुरक्षित, स्वस्थ जीवनभर, ये मेरी कामना है, 

हमारे प्रेम को इस दूरी का अब करना सामना है।

नहीं है ये हमारी मजबूरी, 

नहीं है कोई दूरी। 


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