दुनिया में हर चीज की कीमत
दुनिया में हर चीज की कीमत
क्या झूठो को बढ़ावा देना चाहिए?
इतना बढ़ावा कि सच भूल जाएं
और सच हार जाए, क्या ये न्याय है?
क्या यही जिंदगी की सच्चाई है?
फिर उनका क्या,
जो सच की तह तक जाते हैं,
उनका सफर कहां तक जाता है?
क्या उन्हें सच पता नहीं चलना चाहिए?
ये इंसाफ, न्याय, किताबी बातें,
असल जिंदगी में कहां काम आती हैं?
और झूठ के ढिंढोरे पीटने वालों को,
एकांत में भी बेचैनी नहीं होती क्या?
पता नही!
ये झूठे लोग बड़े महान होते हैं
इतने महान कि सच की नींव उखाड़ देते हैं,
उनकी ताकत से सच हार जाता हैं
झूठ का बोलबाला बना रहता हैं
किसी ने सही ही कहा है कि
हर चीज की कीमत होती है
दिल के जुड़ जाने की कीमत
दिल को फिर तुड़वाने की कीमत।
सच की कीमत, झूठ की कीमत,
दुनिया में हर चीज की कीमत।
