दुआएं ही है रेशम की डोर
दुआएं ही है रेशम की डोर
राखी, हमें बचपन में खींच लाती है,
रक्षाबंधन मायका याद दिलाती है,
छोटे से बड़े तक स्मरण कराती है,
प्यार-तकरार का गोते लगवाती है,
कहाँ समझ थी, जब हम छोटे थे,
राखी और गिफ्ट ही तब होते थे,
आई जब समझ, दूर हुए हमसब,
रक्षाबंधन में मिलते कहाँ हमअब,
पहुंचती है राखी डाक द्वारा ही तो,
पर ये कैसे होता, गर प्रेम न हो तो,
जीवन में बहनें भी उलझी रहती है,
पर राखी भेजना वो नहीं भूलती है,
रहता कहाँ उसे गिफ्ट का इंतजार,
रहता प्राप्ति के फोन का इंतजार,
ऐसे संकट का जो दौर चल रहा है,
राखी भेजना भी कठिन हो रहा है,
कोई संकट न पहुंचे राखी के साथ,
भेजूं दुआएं,बंध जाए भाई के हाथ,
दुआएं ही है रेशम की डोर सुन 'भाई',
'पूनम' दिल बात है तुम सबको सुनाई।