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Poonam Jha 'Prathma'

Others

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Poonam Jha 'Prathma'

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कुछ अपनी लिखती हूँ

कुछ अपनी लिखती हूँ

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कुछ अपनी लिखती हूँ..

चल मन कुछ अपनी लिखती हूँ,
भूली-बिसरी यादों में खो जाती हूँ,

मैं भी कभी छोटी सी गुड़िया थी,
चहकती फुदकती सी चिड़िया थी,

आंगन की रौनक कहते बाबा मुझको,
दिल का टुकड़ा कहती अम्मा मुझको,

खेल खेल में दिन बीता बचपन का,
याद आती सखियाँ वो छुटपन का,

बाबुल का घर जब से हुआ पराया,
जीवन का दर्शन हुआ है गहराया,

काम काज ने ऐसा नाता जोड़ा है,
मुझको ही मुझसे नाता तोड़ा है,

थोड़ी सी फुर्सत मिली जो मुझको,
आ कविता कुछ पल मिलूँ मैं तुझको,

तुमको लिखकर मैं खुश हो लेती हूँ,
कथा-व्यथा में कुछ रो भी लेती हूँ,

ओ कविता! मेरी भावनाओं को समझती हो तुम,
मैं भी नारी तू भी नारी, मेरी अंतरंग सहेली हो तुम।

--पूनम झा 'प्रथमा'
   जयपुर, राजस्थान
   

Mob-wat - 9414875654 

Email - poonamjha14869@gmail.com 





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