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Poonam Jha

Others

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Poonam Jha

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सुनो मेरे हमराही

सुनो मेरे हमराही

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 सुनो,

ओ मेरे हमराही

मुझे तुमसे कुछ कहना है

तुम सोच रहे होगे कि सामने कहने के बजाय

मुझे लिखकर कहने कि क्या आवश्यकता हो गई ?

पर सच कहूँ कुछ बातें सामने कहना मुमकिन नहीं ।

इसलिए लिखना पड़ा ....


यूं हाथों में तुमने मेरा हाथ क्या लिया,

मैंने तो अपना वजूद ही मिटा लिया ,

फूल भी मिले काँटे भी मिले राहों में-

हमने तुम्हारी मर्जी से राहें सजा लिया ,

प्यार भी मिले पर तकरार भी हुए ।

कभी इन्कार हुए तो इकरार भी हुए।

गृहस्थ पथ तो तपस्या है " मेरे सजन "

यदि कभी तपन थी , तो बौछार भी हुए।

अजनबी थे तुम मगर हमराज बना लिया ,

तुमको हमने अपना दिलदार बना लिया,

तुम्हारे लिए दिल क्या जां भी हाजिर है-

तुम्हें तो मैंने अपना सरताज बना लिया ।



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