Kinju Desai
Tragedy Inspirational
कुछ दर्द ऐसे भी है जिंदगी में,
की जिंदगी घुट घुट कर जी रहे हैं।
वो दर्द ना ही कभी बयां कर पाते हैं,
ना ही किसी से कह पाते हैं।
“अपनो ने ही साथ छोड़ दिया तो...,”
इसीलिए दर्द को अपनाकर जी लेते हैं।
“तब मिलेंगे”
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“दर्द”
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क्यों कहें निज हस्त खुद को, मौत मुंह में टाँगते हैं ? क्यों कहें निज हस्त खुद को, मौत मुंह में टाँगते हैं ?
मैं दिल से मजबूर हूँ अपने और वो दुनियादारी से। मैं दिल से मजबूर हूँ अपने और वो दुनियादारी से।
अपनाते भले न हो मुझे पर मेरी बद्दुआओं से तो हैं डरते ! अपनाते भले न हो मुझे पर मेरी बद्दुआओं से तो हैं डरते !
न जाने क्यों मिलने पर हमारे ऐतराज़ था बहुत ज़माने को शामिल हो गए सारे एक तरफ और रौंद डाला प्या... न जाने क्यों मिलने पर हमारे ऐतराज़ था बहुत ज़माने को शामिल हो गए सारे एक तरफ...
मैं तेरी-मेरी बातों के, अल्फ़ाज़ ही वापस लेती हूँ। थक आज गयी हूँ मैं इतना, कि थकान भी वापस लेती हूँ... मैं तेरी-मेरी बातों के, अल्फ़ाज़ ही वापस लेती हूँ। थक आज गयी हूँ मैं इतना, कि थ...
मेरी चीखों से तुम्हें सुख मिलता है ऐसा तुम कहते हो मेरी चीखों से तुम्हें सुख मिलता है ऐसा तुम कहते हो
#JusticeForPriyankaReddy पॉलिटिक्स का एक नया कारण बन गई, मेरी कहानी को निर्भया, अशिफ़ा के साथ जोड़ गय... #JusticeForPriyankaReddy पॉलिटिक्स का एक नया कारण बन गई, मेरी कहानी को निर्भया,...
क्या तुम अपने घर में मेरा अपना घर दे पाओगे। क्या तुम अपने घर में मेरा अपना घर दे पाओगे।
तड़पने वाले को उसके हाल पर छोड़कर निकल जाता हूँ मैं कुछ रूह का हिस्सा दफना कर आ जाता हू तड़पने वाले को उसके हाल पर छोड़कर निकल जाता हूँ मैं कुछ रूह का हिस्सा दफना कर ...
मन में कष्टों को बंधी किए, जीवन की एक उमंग हूं मैं, पुरुष हूं मैं। मन में कष्टों को बंधी किए, जीवन की एक उमंग हूं मैं, पुरुष हूं मैं।
कितने तो आँसू बहे होंगे इन आँखों से, घर ये खारे पानी का। कितने तो आँसू बहे होंगे इन आँखों से, घर ये खारे पानी का।
बड़ा खामोश लम्हा है इन चुप्पियों के दौरान भी। बड़ा खामोश लम्हा है इन चुप्पियों के दौरान भी।
मेरे जैसा कहा मिलेगा तुम मुझसे यह कहते थे अब के है जो साथ तुम्हारे, तुम ही बताओ कैसा है मेरे जैसा कहा मिलेगा तुम मुझसे यह कहते थे अब के है जो साथ तुम्हारे, तुम ही बताओ...
हां दर्द दिल में उठता है..कैसे कह देते हो तुम फिर भी मैं पराई हूं। हां दर्द दिल में उठता है..कैसे कह देते हो तुम फिर भी मैं पराई हूं।
उसकी देह पर दो फटे पुराने कपड़े थे हाथ में एक रोटी का टुकड़ा..। उसकी देह पर दो फटे पुराने कपड़े थे हाथ में एक रोटी का टुकड़ा..।
जब जाती हूं थक... तो निकल जाती हूं घर से बाहर। जब जाती हूं थक... तो निकल जाती हूं घर से बाहर।
क्या खूब लिखा है कवी ने प्यार, इश्क, मोहब्बत और जज्बात के बारे में... लेकिन एक कसक सी उठती ही है सीन... क्या खूब लिखा है कवी ने प्यार, इश्क, मोहब्बत और जज्बात के बारे में... लेकिन एक क...
सड़क काली हो या भूरी जहां से भी निकलती है स्याह कर देती है। सड़क काली हो या भूरी जहां से भी निकलती है स्याह कर देती है।
कौन देश के वासी तुम बादल चले कहाँ होकर तैयार ? कौन देश के वासी तुम बादल चले कहाँ होकर तैयार ?
बस एक अजीब सी ख़ामोशी है यहाँ, एक ठहरा हुआ समय हो जैसे। बस एक अजीब सी ख़ामोशी है यहाँ, एक ठहरा हुआ समय हो जैसे।