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Kinju Desai

Romance

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Kinju Desai

Romance

‘महोब्बत या मज़बूरी’

‘महोब्बत या मज़बूरी’

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महोब्बत नहीं है तुमसे, 

जिंदगी भर जो कहा करते थे.... 


फूल रखकर कब्र पर मेरी,

वो देर रात तक क्यों रोये थे.... 


ये एक तरफा महोब्बत नहीं थी, 

कि इजहार करने से डरते थे.... 


उनके पैर मजबूरी से बन्धे हुए, 

और मेरे, दुनिया के दलदल में थे.... 


बस यही युद्ध चल रहा है आजकल, 

महोब्बत और मज़बूरी के बीच।


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