दर्द
दर्द
ना सोचा ना समझा
खुद को तन्हाइयों में कैद कर लिया
कहीं तुम बिखरे , कहीं वो बिखरे
टूटे-बिखरे दिल ने दिल को बेबस कर दिया
कभी तुम खामोश , कभी वो खामोश
खामोशी को जीने का जरिया बना लिया
दो लफ्जों की तो बात थी
फिर क्यों तुमने मुंह फेर लिया
ताउम्र जिंदगी पड़ी है राहों में
क्यों रहना मझधारों में
बेदर्द दिल ने दिल को कैसे भुला दिया!!!
