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Syeda Noorjahan

Tragedy Classics

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Syeda Noorjahan

Tragedy Classics

दर्द-ए-जुदाई

दर्द-ए-जुदाई

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ज़िन्दगी में सब कुछ हारा नहीं जाता

किसी पर अपना सब कुछ वारा नहीं जाता


प्यार तो आसमानी तोहफा है यारों

यह हर किसी पर उतारा नहीं जाता


हमने यह बात कही है दिल से

वो हादसा हमसे भुलाया नहीं जाता


हम गज़रे थे कभी एक राह से

जहां से कोई आता नहीं जाता


छीन के मंज़िल पुछा दर दर फिरते हो क्यों

मैं ने कहा मुसाफिर हूं मंज़िल नहीं पाता


जिंदगी देखली मैंने इतनी दोस्तों

अब मझे कोई ख्वाब नहीं डराता


हां मैं ख़ामोश था जुदाई के वक्त

जानता हूं मैं उसको रोक नहीं पाता


हर सांस मुश्किल हर सांस आसान

इस बेताबी का कुछ कर नहीं पाता


दर्द ही दर्द भर दिया जुदाई ने

नासुर है कोई मरहम नहीं लगाता


उसको देखना भी ईद थी कभी मेरे लिए

अब सामने से गुजर भी जाए तो नज़र नहीं आता


खुश रहना मेरा भी हक़ है दोस्तों

फिर क्यों मैं खुशी घर नहीं लाता


बिखरा हुआ है दिल मेरे आगे

मैं समेटुं तो सिमट क्यों नहीं जाता


जो नजरों से गुजर गया है मेरी

वो दिल से उतर क्यों नहीं जाता


तुम ही इसकी दवा कर दो मेरे हमदम

उजाले में भी कुछ रौशन कर नहीं पाता।


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