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Mamta Singh Devaa

Tragedy

4  

Mamta Singh Devaa

Tragedy

दो वर्गों का अंतर

दो वर्गों का अंतर

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इतना बड़ा दो वर्गों में अंतर है

इनके बीच कुछ भी नहीं समानांतर है,


धनाढ्य कुछ ज़्यादा धनाढ्य है

निर्धन हद से ज़्यादा ही निर्धन है,


धनाढ्य इतने पैसे कमाता है

जी भरकर उसको लुटाता है,


मुल्य नहीं ज़रा भी पैसों का

फ़िक्र करो कुछ तो इस धन का,


निर्धन इतना निर्धन है

एक भी दाने को नही धन है,


कचरे की पेटी भी बेकार है

उसमें खाने का नही कोई समान है,


ना सर पर छत है सिर छुपाने को

ना तन पर कपड़ा है तन ढ़ाकने को,


कचरे के लिए भी जगह निर्धारित है

निर्धनों के लिए कुछ भी नही आधारित है,


हद की सीमा पार हो गई है अब तो

कचरे की जगह ख़ुद को रख दिया इन्होंने तो।


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