Vinay Panda
Tragedy
हमें जरूरत थी जब उसकी
फुरसत में वह नही थी
आज जब लिखने बैठता हूँ
क्यूं परेशान करती है हमें दिवानगी उसकी..!
हिंदुस्तान की...
क़लम तू लिखती ...
झुकना मत कभी
बेरोज़गारी में...
भारत माँ के व...
राखी
प्रेम का अनुब...
मेहरारू मतलब ...
जल है तो जीवन...
मन
विरासतें ना सँभलीं तो गिरा आये हैं। विरासतें ना सँभलीं तो गिरा आये हैं।
अपना कर्तव्य कैसे निभाऊंगा और माँ के दूध का क़र्ज़ कैसे चुकाऊंगा। अपना कर्तव्य कैसे निभाऊंगा और माँ के दूध का क़र्ज़ कैसे चुकाऊंगा।
मैं कतई निर्बल नहीं कि चाहिए कोई ठौर। मैं कतई निर्बल नहीं कि चाहिए कोई ठौर।
ग़लतफ़हमी का दर्दनाक झंझावात ले आयेगीं। ग़लतफ़हमी का दर्दनाक झंझावात ले आयेगीं।
लड़के दोस्त नहीं हो सकते ताना मारने वाले रिश्तेदार बाप है नहीं तो कुछ भी करो लड़के दोस्त नहीं हो सकते ताना मारने वाले रिश्तेदार बाप है नहीं तो कुछ भी कर...
कुछ क्षण, एक क्षण में लेक़िन सूरज निकलते ही ढह गये। कुछ क्षण, एक क्षण में लेक़िन सूरज निकलते ही ढह गये।
चाहे वह शमा किसी और के ही घर का अंधेरा क्यों ना भगाये। चाहे वह शमा किसी और के ही घर का अंधेरा क्यों ना भगाये।
न हो इनके जीवन में दुख की रातें न हो इनकी नम आँखें। न हो इनके जीवन में दुख की रातें न हो इनकी नम आँखें।
मनुष्यों का मनुष्यों के लिए अत्याचार को देखकर मुझे बहुत दुःख होता है। मनुष्यों का मनुष्यों के लिए अत्याचार को देखकर मुझे बहुत दुःख होता है।
सड़क पे निजी और धार्मिक कार्यक्रम आज़ादी है आज भीड़ द्वारा संदिग्ध की मार पीट आज़ादी है सड़क पे निजी और धार्मिक कार्यक्रम आज़ादी है आज भीड़ द्वारा संदिग्ध की मार पीट आज़...
खुद से कह कर हम खुद को हैं कोसते। खुद से कह कर हम खुद को हैं कोसते।
जो मर गए मार दिए गाए जिन्होंने मार डाला तुमने और मैंने भी। जो मर गए मार दिए गाए जिन्होंने मार डाला तुमने और मैंने भी।
क्या लिखूं उनपे मेरी कविता, वो सार है मेरा मगर शीर्षक हो नहीं सकते क्या लिखूं उनपे मेरी कविता, वो सार है मेरा मगर शीर्षक हो नहीं सकते
अब तू ही बता कि इससे मैं अपना मुँह कैसे मोड़ दूँ। अब तू ही बता कि इससे मैं अपना मुँह कैसे मोड़ दूँ।
भूख से मर जाना तुम्हें आनंद दे रही है। भूख से मर जाना तुम्हें आनंद दे रही है।
इस धरती की यह पहली हरी दीवाली हो। इस धरती की यह पहली हरी दीवाली हो।
उसे काली, साँवली होने की किरकिरी होने लगी। उसे काली, साँवली होने की किरकिरी होने लगी।
चिमनी से निकला धुआँ पीते हुए लोग। चिमनी से निकला धुआँ पीते हुए लोग।
जहाँ कुपोषित है कानून और लोग सभी अंधे हैं। जहाँ कुपोषित है कानून और लोग सभी अंधे हैं।
किसी ने खुशी के लिफ़ाफ़े में रखकर, हमें ज़िन्दगी भर के ग़म बेच डाले। किसी ने खुशी के लिफ़ाफ़े में रखकर, हमें ज़िन्दगी भर के ग़म बेच डाले।