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Ashu Kapoor

Romance

4  

Ashu Kapoor

Romance

दिल तो पागल है

दिल तो पागल है

1 min
272


उम्र के 55वें पायदान से

अक्सर नीचे उतर आता है,

बुढ़ापे की ओर बढ़ते तन को

दिल पीछे खींच लाता है


संजीदगी के आवरण को

खींच कर उतारना चाहता है

यह दिल कभी कभी

पागल हो जाता है

तोड़कर बंदिशे जमाने की,

उन्मुक्त गगन में --परवाज चाहता है


कितना ही मनाती हूं --इस दिल को,

पर दिल, कुछ सुनना नहीं चाहता है

करता फिरता है ---मनमर्जियां

जमाने की रवायतो को

तोड़ कर,

कहीं दूर निकल जाना चाहता है,


कितना ही जकड़ लूं, रिवाज़ो के बंधनों में

रस्सियां तुड़ा- तुड़ा कर

भाग जाना चाहता है

अक्सर भटक जाता है

उन रास्तों पर------ जहां प्रवेश वर्जित है


लाख समझाया, बहुत मनाया

मानता ही नहीं----- सुनता ही नहीं 

दिल दिवाना है--

दिल तो पागल है !


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