दिल माने ना
दिल माने ना
यारो हर वक्त रहता था एक ही जुनून,
कि कभी मैं भी तो घूमूं अपनी पसंदीदा जगह,
यूं तो हर किसी का अरमान कुछ होता ही है,
मनाली घूमना मेरी दिली तमन्ना रहता ही है,
हसीन वादियों और पहाड़ों की हवा मुझे सुकून देती है,
बेशक हर बार ये मेरी जेब बहुत ढीली करती है,
हर बार-बार जाने को जी बेकरार रहता है,
कितना भी घूमूं फिर भी मेरा मन कहां भरता है,
वो पहाड़ों पर चढना और फिसलना,
बर्फ के गोले बनाना और बनाकर फेंकना,
माल रोड पर भटकना और शाॅपिंग करना,
क्लब हाऊस के झरनों से वो कल-कल की आवाज,
मनीकरण की वो हसीन पहाड़ियां,
वो हिडिंबा मंदिर की चढाई,
वो देर रात होटल से निकलना और घूमना,
यूं ही मेरे अंतर्मन में स्मृतियों के हिलोंरे
मार मार कर सपनों को जगाई जाते है।
हां मेरे यार मनाली की हर जगह मुझे बहुत याद आती है।