दिल का मौसम खराब है(ग़ज़ल)
दिल का मौसम खराब है(ग़ज़ल)
अभी दिल का मौसम खराब है।
साथ बैठो के गम बे-हिसाब है।
तुम बिन अकेले हैं चले आओ ,
कि दिल ने छेड़ा इन्कलाब है ।
ये तन्हाई ये यादों की महफिलें ,
दर्द के प्याले औ अश्क शराब है।
रेशा-रेशा,रफ्ता-रफ्ता हूं बिखरा।
ज़ख्म सारे हुए फिर बे-नकाब है।
'दीप' उम्मीदों की शम्मा जला दो,
कि दहशत अंधेरों का कामयाब है।