किसी शाम
किसी शाम
किसी शाम
चाँदनी ओढ़ रही हो
नीले फलक का
सितारों जड़ा आँचल
और चाँद
पलकें झपकाना
भूल जाए....
किसी शाम
हथेलियों से आती हो
मेहँदी की खुशबू
बालों में खिलने को
बेताब रजनीगंधा हो
होंठों के प्याले
लबरेज हो
पलकें हया से
बोझिल हों
और
तुम थाम लो
मेरा हवाओं में लहराता
आसमानी
सितारों जड़ा आँचल
और
एक गाँठ बांध दो
आँचल के किनारे पर
हमारे प्यार का
विश्वास का
मान रह जाए
मेरे आँचल का।