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Dippriya Mishra

Others

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Dippriya Mishra

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नाम तुम्हें वंशीवट दूंगी

नाम तुम्हें वंशीवट दूंगी

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प्रज्वलित रहे यह दीप नेह का 

मैं दो हथेलियों की ओट दूँगी !

सावित्री का सत साधा हमने

जीवन तुम्हें अक्षयवट दूँगी!

प्रीत का मैंने जोग लिया जब,

मैं राधा, नाम तुम्हें वंशीवट दूँगी!

आ बना दें जीवन को वृंदावन ,

मैं हृदय की शुचि अमृतघट दूँगी!



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