नाम तुम्हें वंशीवट दूंगी
नाम तुम्हें वंशीवट दूंगी
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प्रज्वलित रहे यह दीप नेह का
मैं दो हथेलियों की ओट दूँगी !
सावित्री का सत साधा हमने
जीवन तुम्हें अक्षयवट दूँगी!
प्रीत का मैंने जोग लिया जब,
मैं राधा, नाम तुम्हें वंशीवट दूँगी!
आ बना दें जीवन को वृंदावन ,
मैं हृदय की शुचि अमृतघट दूँगी!