लगाते है प्रश्नचिन्ह मुझ पर, मेरे अस्तित्व पर, लगाते है प्रश्नचिन्ह मुझ पर, मेरे अस्तित्व पर,
अपनी हस्ती पर नाज़ था, दौलत पे ग़ुरूर; जो भी तकब्बुर था सब चकनाचूर हुआ है ! अपनी हस्ती पर नाज़ था, दौलत पे ग़ुरूर; जो भी तकब्बुर था सब चकनाचूर हुआ है !
हँसते हँसते कभी कहे मैं दीवानी। हँसते हँसते कभी कहे मैं दीवानी।
इसलिये व्यर्थ रुक मत, अपनी कब्र खुद खोद मत इसलिये व्यर्थ रुक मत, अपनी कब्र खुद खोद मत
चांदनी में पसीना आता है रात में दोपहर हुआ कैसे चांदनी में पसीना आता है रात में दोपहर हुआ कैसे