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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

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Vijay Kumar parashar "साखी"

Inspirational

"रुका हुआ पानी"

"रुका हुआ पानी"

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यूँ ही रुका हुआ पानी

यूँ ही रुका हुआ आदमी

दोनों ही सड़ जाते है,

जो जानते यह कहानी

वो कार्य करते तूफानी

जो होते आलस्य वाणी

वो रोते रहते सदा जानी

वो ही इतिहास बनाते है,

हमेशा लगातार चलते है,

इसलिये व्यर्थ रुक मत,

अपनी कब्र खुद खोद मत

लगातार चलता रह तू,

मिलेगी मंजिल वरदानी

बिना संघर्ष के न बनती,

कोई भी सफल कहानी

जो लड़ता है, खुद से,

वो करता कर्म तूफानी

जो बोलता श्रम वाणी

बनता सितारा आसमानी



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