दिल ए आवाज
दिल ए आवाज
मैं कविता नहीं दिल ए आवाज लिख रहा हूं,
तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रहा हूं
जब देखा था तुम्हें मुस्कुराते वक्त,
उस वक्त से बसी हो मेरे दिल में।
उस मुस्कान की एहसास लिख रहा हूं,
तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रहा हूं
तुम पहली ही बार लगी थी कुछ अलग,
उसी वक्त से तुम्हें खुश करने का प्रयास कर रहा हूं।
तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रहा हूं
तुम्हें खुश करके खुद को गम में जला रहा हूं,
तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रहा हूं
अभी भी मैं तुम्हारी खुशी चाहता हूं,
इससे ज्यादा प्रेम का सबूत नहीं दे सकता हूं।
अपनी दिल ए बेबसी कुछ यूँ बताता हूं,
है हाल मेरा ऐसा है जैसे जल बिन मछली
बातें तो बहुत है लेकिन विराम अपने अल्फाज कर रहा हूं,
तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रहा हूं।
सीने की दबी हर सांस लिख रहा हूं,
तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रहा हूं
कविता नहीं दिल ए आवाज लिख रहा हूं,
तुम्हारे लिए कुछ खास लिख रहा हूं।

