दिल और दिमाग
दिल और दिमाग
दिल कहता, लौट चले दुबारा क्या ?
दिमाग़ कहता, फिर टूटेगा हमारा क्या ?
दिल महसूस करता है आवाज़ उसकी,
दिमाग कहता, उसने तुझे पुकारा क्या ?
दिल कहता, उजड़ा नहीं है तेरा आशियां,
दिमाग कहता, तेरा घर किसी ने संवारा क्या?
दिल और दिमाग़ से जूझ रहे है हम,
बेखबर तुम मुस्कुराती रहो, तुम्हारा क्या?
