दिखाई देता है अब चाँद खुद
दिखाई देता है अब चाँद खुद
है एक तू ही मेंरे दिल के इस ठिकाने में।
मिला है तुझ सा भला कौन इस जमाने में।।
मिटा के खुद को तुझे पा सकूँ हो मुमकिन जो,
तो ये कदम भी मुनासिब है तुझको पाने में।
बिखर गयी है यहाँ से वहाँ नई रंगत,
यूँ खूबियों की जरा एक लौ जलाने में।
कई दिनों से जरा सा नसीब जागा है,
दिखाई देता है अब चाँद खुद दलाने में।