दीवाना
दीवाना
तू ने जिस तरह दर्द को मेरा साथी बनाया है
वो दाग़ दिये के अब आईना भी नही देखता हूं मैं
मुझे मतलूब ज़माना था कभी
आज तन्हाइयों में बसर करता हूं मैं
तेरे ख़वाब मेरी आँखों को पत्थर कर गये
ऐसे बिखरा जीवन मेरा कि
किताबे दिल के पन्ने पन्ने बिखर गए
सुनता हूं
हर जगह चर्चे हैं तेरी फिर आमद के
तुने फिर कोई नया रूप धर लिया होगा
फिर कोई दिल चाहिये होगा खिलौना तुम्हें
फिर शायद किसी का नाम
सफ़े ख़ुशी से मिटाना होगा
क्योंकि
मेरी कहानी में नही आता कोई बड़ा काम
तूने ये सोच के पन्ना पलट दिया होगा
मुझे ही देखकर चाँद निकलता है
तेरी ही बात चलती है रात भर
ये दीवानगी है और कुछ नहीं
तूने पागल समझ लिया होगा
एक क़फ़स में क़ैद हूँ वरना
आसमाँ के लिए शाहीन अब भी हूँ में
जानता हूं में भले कुछ नहीं था तेरे लिए
एक लम्हें के अफसाने के सिवा तेरे लिए
मैं कुछ नहीं था मगर
जब दुनियाँ के किसी कोने में जानां
ना मिल सकें सुकूँ
ना मिल सके क़रार तुम्हें
एक बार
बस एक बार तुम मुझे पुकार लेना
तुम मेरा नाम लेकर
मुझे अपने साथ पाओगी
अपने हमराह
क़दम बा क़दम।