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Madhu Gupta "अपराजिता"

Fantasy Children

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Madhu Gupta "अपराजिता"

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दीवाली खुशियों का त्योहार

दीवाली खुशियों का त्योहार

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घर गलियों में दीप जले हैं, 

खुशियों मुझे सब झूम उठे हैं। 

दीपक की सज रही कतारें, 

अंधकार सब मिट अब चले हैं।। 


अंधकार मिट प्रकाश विजय बना है, 

चारों ओर दीपावली का त्योहार सजा है। 

दुकानों में मिठाइयों और उपहार की धूम लगी है, 

खील-खिलौने को भी बिकने की धुन अब लगी है।।


किसान भाइयों के चेहरे पर खुशियों की रंगत बड़ी है, 

बच्चों संग दीवाली की खरीदारी खूब बड़ चढ़ कर हुई है। 

सुख समृद्धि सब घर और दरवाजों पर आकर खड़ी है, 

अंधेरे दिलों में भी आज आस की रोशनी जली है।। 


बैर दिलों के सब मिट चले हैं,

एक दूजे को गले लगा कर सब खिल उठे हैं।।

मिठाइयों से सबके मुंह मीठे हो चले हैं,

दीवाली के त्यौहार ने सबके दिलों में प्रेम भर- भर कर उपहार में दिये हैं।। 



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